आज़म/शाह
वर्तमान दौर पालीथिन का संक्रमण काल है। संक्रमण इसलिए कि जिस पॉलीथिन की शुरुआत मनुष्य की जिंदगी सरल और आराम देने के लिए की गई थी, वही आज मनुष्य,पर्यावरण,धरती को नुकसान पहुँचा रही है । प्लास्टिक से बनी 51माइक्रोन से बनी पन्नी ,गिलास आदि से नुकसान इस कदर बढ़ गया है कि अपने आराम के लिए इस को इस्तेमाल करना सही और गलत में फर्क कर पाना मुश्किल हो गया है।
एक समय था जब कुम्हारों के बने कुल्हड़ में चाय,ठंडे पानी के लिए मटके,दिवाली में दिए जलाने के लिए छोटी प्यारिया आदि लेकिन इन सब की जगह प्लास्टिक के कप,फ्रीज़,चाइना की लाइटों ने ले ली थी जिस कारण कुम्हारों को अपनी जीविका चलाना मुश्किल हो गया था
हर सिक्के के दो पहलू होते है जहाँ एक ओर यू पी में प्लास्टिक बंद होने से प्लास्टिक एसो0 के पदाधिकारियों का कहना है कि बड़ी बड़ी प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियां बंद हो जायेगी एवं हज़ारो लोग बेरोज़गार हो जायेगें
वही सिक्के का दूसरा पहलू उत्तर प्रदेश में पॉलीथीन पर प्रतिबंध होने से कुम्हारों के व्यापार को नई दिशा मिली है। जिसका कारण खुद सी एम योगी हैं। बता दें कि पॉलीथीन के बंद होने से मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ गई है। जिसके चलते कुम्हारों की आजीविका में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
दरअसल, सरकार के फैसले के बाद लोग प्लास्टिक के ग्लास का इस्तेमाल कम कर रहे हैं। इतना ही नहीं होटलों और दुकानों में भी प्लास्टिक के ग्लास या अन्य सामान बंद हो गया है। अब लोग मिट्टी के बरतनों इस्तेमाल करने लगे हैं। प्लास्टिक प्रतिबंध के बाद कुम्हारों के अच्छे दिन, बाजार में मिट्टी के कुल्हड़ों की डिमांड बढ़ी, 10 प्रतिशत तक बढ़ा मिट्टी बर्तन का बाजार, जिसके चलते कुम्हारों के चेहरे पर खुशी और सुकून का भाव है।
वहीं कुछ कुम्हारों का कहना है कि जहां पहले 2000 से 2500 कुल्हड़ बिक रहे थे, वहीं अब 6000 से 7500 कुल्हड़ बिक रहे हैं। इससे उनके रोजगार में कुछ इजाफा हुआ है।
“अभी तक किसी भी तरह का कोई फर्क नही पड़ा है अगर प्लास्टिक के बने सामान पर पूरी तरह से रोक लग जाये तो सेल बहुत बढ़ जाएगी
प्लास्टिक की तुलना में मिट्टी के कुल्हड़ महंगे भी पड़ते है और कच्चा बाना होता है इस लिए टूटने का डर ज़्यादा होता है
कुल्हड़ बनाने में जगह की जरूरत बहुत होते है जो अब बची नही है
मिट्टी पहले से 3 गुना महंगी है पकाने के लिए जो गोबर आदि इस्तेमाल किया जाता है वो सब पहले से बहुत महँगा है वर्तमान में मौसम की मार अलग से है है ”
दीपक प्रजापति
कुम्हार
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