फैसल हयात
कानपुर । वो कौन हैं ? जो स्व. हलीम साहब की दी प्रॉपर्टी की हिफ़ाज़त नहीं करते,सुनते हैं जो कौम से मोहब्बत नहीं करते स्व. हलीम साहब द्वारा कौम की भलाई के लिए दी गई लगभग 17 एकड़ जमीन जो कौम की भलाई के लिए कम उस की हिफाज़त के जिम्मेदाराननो के ज्यादा काम आ रही है । हलीम साहब द्वारा दी गई जमीन पर कौम की भलाई दिखा कर काम शुरू किया जाता है और कुछ समय बाद कौम को फायदा कम इस को संचालित करने वाली एसोशिएशन के कुछ पदाधिकारियों को ज्यादा हो जाता है ।
ऐसे ही कुछ साल पहले कौम का दर्द दिखा कर सियासत रोड भन्नानपुरवा पर स्व. हलीम की पत्नी के नाम से मरियम हलीम चेरिटेबिल अस्पताल खोला गया । खोलने से पहले एसोशिएशन के महामंत्री ने खूब प्रचार किया कि इस हॉस्पिटल में कौम के लोगों को हर सुविधा दी जायेगी । एक्सरे,अल्ट्रा साउंड और खून की जांचे भी बहुत सस्ते दामो में की जायेगीं डाइलिसिस की दो मशीनें अभी चालू ही नही हो पाई वैसे ही पैक रख्खी हैं । लगभग 150ग़ज़ पर बने इस अस्पताल को कानपुर के तीनों शाहरकाज़ियों (अब तीनो मरहूम) ने फीता काट कर शुरू किया था । कुछ समय तो कौम के लोगों को इस अस्पताल का फायदा मिला लेकिन कुछ ही समय बाद इस अस्पताल को एव हलीम साहब की प्रॉपर्टी को अपनी प्रॉपर्टी समझने वालों ने कौम का दर्द भूल कर जो उन में कभी था ही नही इस अस्पताल को 5साल के एग्रीमेंट पर लगभग 50000₹ महीने के हिसाब से डॉक्टर सेवेंद्र पांडेय को किराए पर दे दिया सूत्रों की माने तो इन डॉक्टर साहब का रामादेवी में खुद का एक अस्पताल है कोविड19 कि दूसरी लहर में मरियम अस्पताल को डॉक्टर साहब ने इस लिए बंद कर दिया क्योंकि यहां के निवासी बदतमीज़ हैं और बात करनी नही आती सूत्रों की माने तो इस अस्पताल की बेड आदि सामान डॉक्टर ने अपने रामदेवी वाले महादेवा अस्पताल में शिफ्ट कर दिया है । डॉक्टर साहब से बात करने पर उन्होंने बताया कि कोविड19 की लहर कम होने के बाद इस को फिर से चालू कर देगें । अब सवाल ये उठता है कि इस अस्पताल को जिस मक़सद से बनाया गया था जब इस मकसद में काम न आये तो ऐसे अस्पताल से क्या फायदा ? डॉक्टर साहब की जब कौम और क्षेत्र के लोगों की ज़रूरत है तब वो अस्पताल में ताला डालकर रामदेवी में बैठें हैं ।
एसोशिएशन का इस अस्पताल को बनाने का जो मक़सद था वो शायद उन के लिए कामयाब हो गया क्योंकि 50000₹ महीने के हिसाब से अब तक 3 साल का किराया जोड़ा जाए तो 36×50000=1800000₹ ये रकम किसे के खाते में गई और इस से क्या काम लिया गया । हलीम साहब की प्रॉपर्टी के साथ साथ अब उन की मरहूम पत्नी के नाम के साथ भी अब खिलवाड़ (धोखा) किया जा रहा है ।
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