कानपुर । मलिन बस्ती विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप यादव के नेतृत्व में केडीए उपाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा कर कहा कि कानपुर विकास प्राधिकरण कानपुर द्वारा वर्ष 1981 से 1984 मलिन बस्ती अधिनियम 1962 के प्रावधानों के तहत 105 बस्तियों को घोषित कर अधिग्रहण किए जाने की कार्रवाई पूर्ण की जा सकती है 1985 मैं विश्व बैंक का हवाला देकर कार्यवाही रोक दी गई और मालिकाना हक गरीबों को नहीं मिल सका लम्बे संघर्ष के बाद वर्ष 2018 में मलिन बस्ती विकास मंच के प्रयासों से शासन ने पुणे कानपुर विकास प्राधिकरण में सक्षम प्राधिकारी की नियुक्ति के आदेश कर दिए गए । उसके बाद भी मलिन बस्ती विभाग की ओर से कोई कार्य नहीं हो रहा है अंखियों के लोग अपने मौलिक अधिकार मालिकाना हक से वंचित है काफी लंबे समय से मालिकाना हक की कार्रवाई लम्बित देख शहर के ताकतवर भू माफियाओं द्वारा मलिन बस्ती की भूमि और भंवनो पर कब्जा कर बड़े-बड़े कॉमशियल अपर्टमेटो का निर्माण भी बिना नक्शे के करा दिया है । उदाहरण स्वरूप मलिन बस्ती नूर मोहम्मद का हाता,जरीब चौकी गुलाम अली का हाता,मुस्ताक एंड संस का हाता लाटूश रोड, शिवनारायण का हाता दर्शन पुरवा,अनेक मलिन बस्तियों में भू माफियाओं द्वारा कब्जे करके खरीद बेच कर रहे हैं भूमि भू माफियाओं के कब्जे को चिन्हित करके मुक्त कराए जाने हेतु पूर्व की भांति बैठक ली जाए बस्तियों में सर्वे व नामांतरण के साथ ही डाउन पेमेंट जमा कराने की कृपा की सुनिश्चित की जाए 105 बस्तियों में भी क्रय विक्रय की तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है । ज्ञापन के दौरान शाकिर अली उस्मानी गया प्रसाद वर्मा महेंद्र भाटिया चंद्रबल आदि लौग रहे ।
Leave a Reply