upकानपुर 15 अप्रैल 2018 (मो0 नदीम)
अतिथि देवोभवःअर्थात अतिथि ईश्वर का रूप होता है उसके आहट मात्र से ही घर का पूरा वातावरण ही बदल जाता है जैसे घर के पर्दे चादर का बदल जाना गोलू मोलू को शिष्टाचार की सीख देना अतिथि से कैसे व्यवहार करना है ये सब परिवार के सभी सदस्यों को बारीकी से सिखाया जाता है इन सभी शिष्टाचारों से अगर कोई परिवार अनभिज्ञ हो और अचानक उसके द्वारे कोई अतिथि पधारे तो सोचिए क्या होता होगा उसकी तो कलई खुल जाती होगी यही हाल आजकल सरकारी विभागों में भी देखने को मिल रहा है अगर किसी उच्चाधिकारी के आने की भनक विभाग को लगती है तो विभागीय अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक खुद को गंगा जल से ज्यादा स्वच्छ व शुद्ध कर लेते है जैसे कभी अशुद्धता के निकट गए ही ना हो
देश के सबसे अव्वल में शुमार कानपुर सेंट्रल रेलवे में कल रेल महाप्रबन्धक एम सी चौहान के आने की आहट मात्र से ही रेलवे में हड़कम्प सा मच गया देखते ही देखते रेलवे परिसर में सफाई कमियों की लाइन लग गई अवैध वेंडरों से लेकर खोमचे ठेले व फल वालो को बाहर का रास्ता दिखाती जी0आर0पी0 व आर पी एफ एक साथ नजर आई टीसी भी पूरी ईमानदारी से अपना काम करते नजर आए उच्चाधिकारी के सामने अपने कॉलर खड़ा करने के लिए रेलवे विभाग यही पर नही रुका देखते ही देखते रेलवे के आसपास खोमचे ठेले मसाला चाय वालो की दुकानों को पल भर में ही लाठी की नोक पर मिस्टर इंडिया कर दिया गया जो चंद घण्टे पहले रेलवे पुलिस की सरपरस्ती की बदौलत 24 घण्टे रोशन रहती थी वहां वीरानी छा गई थी रेलवे के आस पास का माहौल देखकर लग ही नही रहा था कि ये वही सेंट्रल है जहां कुछ घण्टे पहले अतिक्रमण की वजह से बच बचकर निकलता पड़ता था उच्चाधिकारी के आने से हड़बड़ाया रेलवे विभाग अगर इसी तरह से गम्भीरता पूर्वक अपने कार्यो अंजाम देने लगे तो किसी भी अधिकारी को शायद ही किसी विभाग का दौरा करना पड़े लेकिन किसी ने सही कहा है पल भर की हरियाली उसके बाद फिर वही रात काली अब देखना ये है क्या रेलवे विभाग फिर उसी पुराने ढर्रे पर आ जाएगा या अवैध वेंडर से लेकर अतिक्रमण पर लगाम लगाएगा
*क्या कहना है रेलवे के अवैध ठेकेदारों का*
रेलवे परिसर के बाहर इकट्ठा हुए अवैध ठेकेदारों ने हमे बताया कि अक्सर बिन बुलाए मेहमान की तरह से अधिकारी के आ जाने के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है हमने भी अनजान बनते हुए पूछा कितना नुकसान हो जाता है उसने बताया कि छोटे से छोटे ठेकेदार का लगभग 20 हजार रु0 हमने पूछा इतना नुकसान क्यो उसने बताया कि रेलवे में तकरीबन 25 ठेकेदार कार्य करवाते है प्रत्येक ठेकेदार के अधीन 15 से बीस वेंडर है प्रत्येक वेंडर को 400 रु0 रोज़ाना देने पड़ते है साथ में खाना पीना भी देना पड़ता है इसके अलावा रेलवे खर्च अलग से काम हो या ना हो हमने पूछा जब इतना खर्च निकाल देते हो तो तुम लोगो को क्या बचता होगा तो इस पर उसने बताया छोटे मोटे ठेकेदारों को सारे खर्चे निकालकर पाँच छै हजार रु0 रोज़ाना बच जाते है जब हमने उससे रेलवे खर्च के बारे पूछा कि वो किसे देते हो तो वो ठेकेदार बगले झाग़ता हुआ नौ दो ग्यारह हो गया ये बताने की जरूरत नही है रेलवे का खर्च किसकी झोली से होता हुआ किसकी गोद मे गिरता है
बहरहाल अगर जल्द ही रेलवे प्रशासन ने कुकरमुत्तों की तरह से फैल रहे अवैध वेंडर व अतिक्रमण पर लगाम ना लगाई तो जिस तरह से सड़को पर हो रहे अतिक्रमण से लोगो का चलना दूभर हो गया है आने वाले वक्त में वही हाल रेल यात्रियों का भी होगा
Leave a Reply