● वसीम रिज़वी ने क़ुरआन मुक़द्दस में तहरीफ के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो रिट दायर की कि क़ुरआन की 26 आयतों को हटाया जाए
● ये बाद में जोड़ी गई हैं ये खुद वसीम रिज़वी की तखरीबकारी है।
● क़ुरआन मुक़द्दस की अहानत करके आलमे इस्लाम के मुसलमानों का दिल दुखाने का काम किया है
● मुल्क में बद अमनी इंतेशार व इफ्तेराक़ फैलाने की मज़मूम हरकत की है।
● खानकाहे सफविया सुप्रीम कोर्ट से मुतालबा करती है इस पी आई एल(PIL) को खारिज किया जाए
● मरकज़ी हुकूमत और सूबाई हुकूमत से भी मुतालबा है
● वसीम रिज़वी को मुल्क में बद अमनी फैलाने के जुर्म में जल्द से जल्द गिरफ्तार करके सज़ा दें
कानपुर/सफीपुर
” إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا ٱلذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ”
तर्जुमा: हमने क़ुरआन उतारा और हम ही इसके मुहाफिज़ हैं। (पारह 14 आयत नम्बर 9)
कुराआने मुक़द्दस की ये इन्फेरादियत है कि इसे आज साढ़े चौदह सौ साल का अर्सा गुज़र गया मगर आज तक इसका एक ज़ेर, ज़बर, पेश अपने हाल पर जूं का तूं महफूज़ है। रत्ती बराबर भी तग़य्युर व तबद्दुल न हुआ। इस तवील अर्से में इस पाक क़ुरआन ने हज़ारों बलाओं से मुक़ाबला किया।
कभी इस पर यज़ीदी बादल आए, कभी हज्जाजी ग़ुबार, कभी मामूनी ताक़त ने इसके सामने आने की जुर्रत की तो कभी तातारी कुव्वतें इससे टकराईं, कभी खारजी सोरिश ने इससे मुक़ाबला किया और इसको ज़ेर करने की कोशिश की मगर सब के सब इस पहाड़ से टकरा कर पाश-पाश हो गए और ये पहाड़ इसी तरह क़ायम व दाएम रहा और क्यों न हो जब रब तबारक व तआला खुद इस क़ुरआन हाफ़िज़ व नासिर है। अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त खुद फरमाता है:
” إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا ٱلذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ”
आज एक बार फिर तखरीबकार वसीम रिज़वी ने क़ुरआन मुक़द्दस में तहरीफ के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो रिट दायर की कि क़ुरआन की 26 आयतों को हटाया जाए ये बाद में जोड़ी गई हैं ये खुद वसीम रिज़वी की तखरीबकारी है। उसने क़ुरआन मुक़द्दस की अहानत करके आलमे इस्लाम के मुसलमानों का दिल दुखाने के साथ साथ मुल्क में बद अमनी इंतेशार व इफ्तेराक़ फैलाने की मज़मूम हरकत की है। खानकाहे सफविया सुप्रीम कोर्ट से मुतालबा करती है है इस पी आई एल(PIL) को खारिज किया जाए और मरकज़ी हुकूमत और सूबाई हुकूमत से भी मुतालबा है कि वसीम रिज़वी को मुल्क में बद अमनी फैलाने के जुर्म में जल्द से जल्द गिरफ्तार करके सज़ा दें।
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