अमूमन समाज में देखा जाता है कि जहां विकृति होती है उसमें कृत्रिमता के साथ-साथ प्रकृति का भी असर होता है। जब लिंग की बात होती है तो स्त्रीलिंग, पुर्लिंग का रूप भी बहुत पुराना है, लेकिन देवो की भाषा संस्कृत में तीसरे लिंग का भी उदाहरण देखने को मिलता है जिसे हम नपुंसकलिंग कहते है अर्थात हम जानते है कि यह विकृति आदिमानव से ही समाज में पाई जाती है जिसको समाज ने अनेक नाम से पुकार है जिसे कोई इन्हें खोजा कहता है, कोई छक्का, मामू, खुसरा, ट्रांसजेंडर, उभयलिंगी, तृतीयलिंगी या फिर हिजड़ा, जिस प्रकार से समाज में अनेक बोलियां और भाषाएं पाई जाती है ठीक उसी प्रकार ट्रांसजेंडर को भिन्न-भिन्न नामो से जाना जाता है ।
वाङ्मय पत्रिका फेसबुक लाइव में यह व्याख्यान काफी विस्तृत और ज्ञान से परिपूर्ण था जिसमें धनंजय जी ने ज्यादातर सभी विषयों और उदाहरण के माध्यम से समझाया कि हर युग मे थर्डजेण्डर की भूमिका रही है ।
मुग़लकाल का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि हरम में बादशाह अपनी रानियों की रक्षा के लिए थर्ड जेंडर को ही रखता था जिससे वो रानियों के हर क्रियाकलाप से निश्चिंत रहे, दूसरी तरह हिन्दू धर्म में जब देवदासियों की प्रथा नहीं थी तो भगवान की पूजा अर्चना और उनकी सेवा में किन्नरों को ही रखा जाता था बाद में देवदासी प्रथा का प्रारंभ हो गया जिससे किन्नरों को बाहर का रास्ता देखना पड़ा ।
थर्ड जेण्डर समाज का इतिहास बहुत प्राचीन और गौरवशाली है जिसको ऐतिहासिक और साहित्यिक दृष्टि से देखा जा सकता है अनेक उपन्यास,कहानियां और कविताएं उभयलिंगी विमर्श पर लिखी गयी है ।
धनंजय एक क्रांतिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता है जो हमें अपने समाज के लिए कार्य कर रही है शिक्षा की दृष्टि से भी उनके लिए कार्य कर रही है जिससे उनको मुख्यधारा में लाया जा सके उनकी जो संघर्ष की व्यथा है वो 12 वर्ष की आयु से लेकर 20- 22 वर्ष तक चलती रहती है इस लगभग दस साल के संघर्ष में वो बताती है कि थर्ड जेण्डर की जीवनलीला को शिक्षा के ही माध्यम से बदला जा सकता है जिससे समाज को भी बदला जा सकता है जिनका नज़रिया थर्ड जेण्डर को लेकर ठीक नहीं है। धनंजय थर्ड जेंडर के संदर्भ में जनता को जागरूक करने के लिए कई विश्वविद्यालयों, स्कूलों और दूसरे सामाजिक कार्यों में जाकर भाषण देती है लोक को जागरूक करने का प्रयास लगातार कर रही है जिससे आने वाले समय में थर्ड जेण्डर समाज के प्रति जनता का दृष्टिकोण बदल सके इस अवसर पर देश-विदेश के तमाम शोधकार्यकर्ता,आचार्य, सहायक आचार्य और गणमान्य लोग लाइव थे ।
इस लाइव कार्यक्रम में अरुणा सभरवाल,डॉ. इकरार,डॉ. भारती अग्रवाल,डॉ. शगुफ्ता,डॉ.लता,डॉ.विमलेश, डॉ. कामिल, राकेश शंकर, डॉ. लवलेश,डॉ. शमीम, डॉ. आसिफ,अकरम हुसैन,मनीष,रिंकी,अनवर,दीपिका, रुद्रांशी, जीपी वर्मा,सीमा सिंह,डॉ.ए के पांडेय, कामिनी, दीपांकर, रोशनी, डॉ. शमा, डॉ. अफ़रोज़,दीप मलिक,राशिद,इमरान आदि ने इस कार्यक्रम को देखा ।
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