आम तौर पर दिल्ली से जेद्दाह की वापसी टिकट 30,000 रूपये के आस पास होता है। और वह भी तब जब आप एक महीने के लिए बुक करें और आपने सिर्फ एक टिकट खरीदने के लिए 30,000 रूपये से सीधे सऊदी एयरवेज का टिकट मिल जाए सोचिए जब आप 6 महीने पहले 1,75,000 रूपये का टिकट बुक करेंगे तो क्या ₹ होना चाहिये? दरअस्ल रेट ₹ होना चाहिये बीस हजार के आस पास।
हज कमैटी ने पिछले साल ये टिकट एयर इंडिया से 80 हजार का खरीदा था, इसका सिंगल पार्टी टेंडर होता है। हर साल एयर इंडिया की भीड़, एक तरह से खाली सीटों को तर्क देकर 20,000 रूपये के टिकट और 80,000 में बेचती हैं। यानी एक टिकिट पर 60,000 रूपये बढ़ा दिये जाते हैं। जिसमें 700 करोड़ की सब्सिडी मिलती है। यानी 175,000) 40,000 / – प्रति हज यात्री को बीस हजार का नुकसान हुआ। और ऊपर से भारत सरकार का अहसान का बोझ भी अपने सर पर लाद लिया।
हज सब्सिडी का खत्म होना, एक छलावा, एक फ्राड का खत्म होने जैसा है. जिसका लाभ हजयात्रियों के बजाये एयर इंडिया की डूबती नैया को आक्सिजन देने जैसा रहा है. अब एयर इंडिया बिक ही जाना है तो हज सब्सिडी के छलावे की जरूरत ही क्या.
✈ हज सब्सिडी की हकीकत ✈
सब्सिडी हाजियों को या एयर इंडिया को
लेकिन क्या वाक़ई सब्सिडी हाजियों को दी जाती है ?
आइये ज़रा हिसाब देंखे।
🔻कैलकुलेशन ऑफ़ सब्सिडी🔻
फिलहाल मक्का शरीफ से इंडिया के लिये हाजियों का कोटा एक लाख छत्तीस हज़ार (1,36,000) का है । (इस साल 5000 और बढ़ गए है )
पिछले साल हमारी गवर्नमेंट ने सालाना बजट में 691 करोड़ हज सब्सिडी के तौर पर मंज़ूर किये थे ।
691 करोड़ ÷ 1.36 lakh = 50.8 हज़ार
यानी एक हाजी के लिए 50000 रुपये ।।
◀ अब ज़रा खर्च जोड़ लेते हैं ▶
एक हाजी को हज के लिए गवर्नमेंट को एक लाख अस्सी हज़ार (1,80,000) देने पड़ते हैं ।
जिसमे चौतीस हज़ार (34,000) लगभग 2100 रियाल मक्का पहुँचने के बाद खर्च के लिए वापस मिलतें हैं ।
1.8 लाख – 34000 = 1.46 लाख
यानि हमें हमारी गवर्नमेंट को एक लाख छियालीस हज़ार (1,46,000) रुपये अदा करने पडतें हैं ।।
मुम्बई से जद्दाह रिटर्न टिकट 2 महीने पहले बुक करतें हैं तो कुछ फ्लाइट का किराया 25000 रुपये से भी कम होगा । फिर भी 25000 रुपये मान लेतें हैं । (irctc पर चेक कर लीजिये)
खाना टैक्सी/बस का बंदोबस्त हाजियों को अलग से अपनी जेब से करना होता है ।
गवर्नमेंट को अदा किये एक लाख छियालीस हज़ार रुपये (1,46,000) में से होने वाला खर्च ___
फ्लाइट = 25,000
मक्का में रहना(25दिन) = 50,000
मदीना में रहना(15दिन) = 20,000
अन्य खर्चे = 25,000
कुल खर्च हुआ =1,20,000
मतलब एक हाजी से लिये 1,46,000 रुपये और खर्च आया 1,20,000 रुपये मतलब एक हाजी अपनी जेब से गवर्नमेंट 26,000 देता है ।
अब असल मुद्दा ये है की जब हाजी सारा रुपया अपनी जेब से खर्च करता है और उसके ऊपर भी 26,000 रुपये और गवर्नमेंट के पास चला जाता है मतलब लगभग एक हाजी से सब्सिडी मिला कर गवर्नमेंट के पास 76,000 हज़ार हो जाता है तो ये पैसा जाता कहाँ है ।।
26,000+50,000 × 1,36,000= 10,33,60,00,000 (दस अरब तेतीस करोड़ साठ लाख रुपया)
याद रहे की एयर इंडिया कंपनी फिलहाल 2100 करोड़ के घाटे में चल है ।।
कोई शक नही की ये रुपया एयर इंडिया कंपनी और पॉलिटिशियन के जेब में जाता है । I
इस के बाद सब से बड़ी रकम सरकार को हज फार्म के ₹ से आती है हज फार्म की कीमत 300₹ है जो वापस नही होती इस साल 2018 हज के लिए 3,55000 लोगो ने हज फार्म भरे इस से सरकार को 10 करोड़ 65 लाख ₹ की आमदनी हुई
और रही बात हज की तो याद रखिये, एक हाजी को सब्सिडी ले कर भी जितना खर्च करना पड़ता है उससे ज्यादा खर्च हजयात्रियों को नहीं पड़ने जा रहा. लिहाजा स्वागत कीजिए. सुप्रीम कोर्ट का, जिसने इस फरेब के मक्कड़ जाल से मुसलमानों को निकाल दिया.
हज सब्सिडी की हकीकत
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